उत्तर प्रदेश के दिव्यांगजन द्वारा बनाये गये चित्रों, हस्तकला आदि सहित उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी एवं कार्यशालाओं हेतु धनराशि सहायता के रूप में उपलब्ध कराना।
उद्देश्य
दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा बनाये गये चित्रों हस्तशिल्पों सहित उत्पादों को प्रदर्शित करने हेतु प्रदेश के जनपद स्तर/मण्डल स्तर/राज्य स्तर पर प्रदर्शनी/कार्यशालाओं के आयोजन के लिए राज्य निधि से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
पात्रता
कोई भी सरकारी संगठन या सोसाइटी अधिनियम/कम्पनी अधिनियम/ट्रस्ट अधिनियम आर0पी0डब्लू0डी0 एक्ट-2016 के तहत् पंजीकृत एक संगठन जिसका विपणन उत्पादों/चित्रों में प्रदर्शनी/कार्यशालाओं के आयोजन में कम से कम दो वर्ष का अनुभव हो।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
- आयोजन स्थल की व्यवस्था के लिए स्थापना लागत, आयोजन स्थल के लागत सहित, भाग लेने वाले दिव्यांगजन को उनके उत्पादों/चित्रों के परिवहन लागत आदि को दिखाने के लिए आमंत्रण पर व्यय।
- अतिरिक्त लॉजिस्टिक की लागत जैसे एलसीडी स्क्रीन, लाइट म्यूजिक आदि की व्यवस्था।
- अग्रिम में 50 प्रतिशत अनुदान जारी किया जायेगा और शेष 50 प्रतिशत कार्यक्रम के पूरा होने और उपभोग प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के बाद जारी किया जायेगा।
- अधिकतम् वित्तीय सहायता जनपद स्तर के लिए रू. 2.5 लाख, मण्डल स्तर के लिए रू. 5.0 लाख एवं राज्य स्तर के लिए रू. 10.0 लाख रूपये होगी।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
1. कोई भी सरकारी/गैर सरकारी संस्था जो इस योजना से लाभान्वित होना चाहते है, उनके द्वारा योजना हेतु निर्धारित आवेदन पत्र भर कर सम्बन्धित जनपद के जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी के कार्यालय में प्रस्तुत किया जायेगा। जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी द्वारा आवेदन का परीक्षण कर जिलाधिकारी के माध्यम से निदेशक को आवेदन पत्र प्राप्ति के 01 माह के अन्दर प्रेषित किया जायेगा।
2. आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
- रजिस्ट्रेशन की प्रति।: (1) सोसाइटी एक्ट के तहत् पंजीकरण। (2) आर0पी0डब्लू0डी0 एक्ट-2016 के तहत् पंजीकरण बैधता।
- अनुभव से सम्बन्धित प्रमाण-पत्र की प्रति।
- संस्था के एसोसिएशन के ज्ञापन की प्रति।
- पैन/टैन/जी0एस0टी0 नंबर की प्रति।
- व्यापार/विपणन निकायों को आमंत्रण की प्रति।
स्वीकृत प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।
उत्तर प्रदेश के दिव्यांगजन जिनका खेल / ललित कला / संगीत / नृत्य / फिल्म / थिएटर / साहित्य जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन हो, उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में प्रतिभाग किये जाने एवं खेल आयोजन हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
उद्देश्य
बेंचमार्क दिव्यांगता वाले किसी व्यक्ति को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय खेल/ललित कला/संगीत/नृत्य/फिल्म/थियेटर/साहित्य के आयोजनों में प्रतिभाग हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करनाः-
- जिसने राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए पिछले तीन वर्षों के दौरान खेल मंत्रालय या किसी भी कलाकार को दिव्यांगता के साथ उत्कृष्ट या होनहार के रूप में संस्कृति मंत्रालय द्वारा वर्गीकृत किया गया है।
- ऐसे दिव्यांगजन जिन्होंने संबंधित मान्यता प्राप्त निकायों/प्रमाणित संस्थानों से कला प्रदर्शन करने में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है या राष्ट्रीय अथवा अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन में भागीदारी के लिए राज्य स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान पर रहे हैं।
- उत्तर प्रदेश सरकार से पूर्व में किसी प्रकार का अनुदान प्राप्त युवक (अधिकतम् आयु 21 वर्ष) को देश-प्रदेश एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार/राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु।
- नैशनल आईटी चैलेंज में भाग लेने के लिए 13 से 21 आयु वर्ग में बेंचमार्क डिसएबिलिटी वाले युवा जो राष्ट्रीय प्रतियोगी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उम्मीदवारों का फैसला करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य प्रतियोगिता है। समय-समय पर ग्लोबल आईटी चैलेंज के मानदंडों के संदर्भ में आयु वर्ग में बेंचमार्क डिसएबिलिटी तय की जायेगी।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
- राष्ट्रीय स्तर के प्रतिस्पर्धा में प्रतिभाग हेतु दिव्यांगजन के सहयोगी के साथ द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी का रेल किराया तथा पूरी अवधि के लिए रू० 2500.00 प्रति दिन के दर से धनराशि देय होगी।
- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के प्रतिस्पर्धा में प्रतिभाग हेतु, निकट स्तर/रूट (सबसे छोटा रास्ता) का इकोनामी क्लास का सहयोगी के साथ हवाई किराया एवं पूरी अवधि के लिए रू० 4000.00 प्रतिदिन के दर से धनराशि देय होगी।
- राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय खेल कार्यक्रम में प्रयोग होने वाले खेल किट क्रय करने हेतु धनराशि का भुगतान।
पात्रता
- बेंचमार्क डिसएबिलिटी (दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक) वाले किसी भी व्यक्ति ने मेडल जीते हैं या पिछले तीन वर्षों के दौरान खेल कार्यक्रमों या दिव्यांगता वाले किसी भी कलाकार को संस्कृति मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार प्रोन्नति ग्रेड दिया गया है।
- राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों के परिवार की वार्षिक आय रू. 3.0 लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन के लिए, परिवार की आय रू. 6.0 लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- समान घटना के लिए फंड से सहायता केवल एक बार दी जा सकती है (यदि किसी विशेष व्यक्ति को एक राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय घटना के लिए फंड के तहत सहायता दी गयी है, तो वह समान घटनाओं के लिए वित्तीय सहायता के पात्र नहीं होगा)।
- भारत का नागरिक हो।
- उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी हो या कम से कम 05 वर्ष से उत्तर प्रदेश का अधिवासी हो।
- किसी अपराधिक मामले में दंडित न किया गया हो।
आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
-
सक्षम चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी स्थायी दिव्यांगजन प्रमाण पत्र या यूडीआईआईडी कार्ड की प्रति
-
आधार संख्या या पंजीकरण संख्या की प्रति (यदि आधार कार्ड अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है)
-
राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते गए पदक के प्रमाण-पत्र की प्रति या ललित कला/संगीत/नृत्य आदि में उपलब्धियों के लिए प्रमाण-पत्र।
-
राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भागीदारी के लिए आमंत्रण पत्र की प्रति।
- आय प्रमाण पत्र की प्रति।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।
दैनिक जीवन के गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिये बेंच मार्क दिव्यांगता के व्यक्तियों को उच्च सहायता वाले उपकरण (उच्च समर्थन की आवश्यकता वाले उपकरण) क्रय हेतु वित्तीय सहायता।
उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा अनुशंसित दिव्यांग व्यक्तियों को सहायक गतिशीलता उपकरणों (उच्च-समर्थन उपकरणों) की खरीद के लिए राज्य कोष से वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिन्हें अपने दैनिक जीवन की गतिविधियों में सुधार के लिए ऐसे उपकरणों की आवश्यकता होती है।
पात्रता
- ऐसे दिव्यांगजन (दिव्यांगता 80 प्रतिशत अथवा इससे अधिक हो) जिनकी स्वयं अथवा माता-पिता/अभिभावक की वार्षिक आय रू. 2.0 लाख से अधिक न हो।
- भारत का नागरिक हो।
- उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी हो या कम से कम 05 वर्ष से उत्तर प्रदेश का अधिवासी हो।
- किसी अपराधिक मामले में दंडित न किया गया हो।
- ऐसे दिव्यांग अभ्यर्थी जिनकों इस योजना हेतु भारत सरकार/राज्य सरकार से लाभान्वित किया गया है, उनको इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
दैनिक जीवन के गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए अनुकूलित गतिशीलता उपकरणों की वास्तविक लागत या रू. 1.0 लाख रूपयें जो भी कम हो।
आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
-
सक्षम चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी स्थायी दिव्यांगजन प्रमाण पत्र या यूडीआईआईडी कार्ड की प्रति
- आय प्रमाण पत्र की प्रति। (सभी स्रोतों से)
-
आधार संख्या या पंजीकरण संख्या की प्रति (यदि आधार कार्ड अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है)
- सरकारी अस्पताल द्वारा की गई सिफारिश की प्रति।
- उपकरण की लागत के लिए उद्धरण की प्रति।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निर्धारित आवेदन पत्र सम्बन्धित जिले के जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी के कार्यालय में जमा किया जाएगा।
- आवेदन प्राप्त होने पर जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी आवेदन का परीक्षण करेंगे तथा आवेदन प्राप्त होने के एक माह के भीतर उसे जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से निदेशक को भेजेंगे।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।
उत्तर प्रदेश के दिव्यांगजन जो गंभीर बिमारियों यथा : कैंसर, थैलीसीमिया, प्लास्टिक एनीमिया, बहुस्केलोरोसिस से ग्रसित हों अथवा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित न हों , को चिकित्सा हेतु वित्तीय सहायता
उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले दिव्यांगजन जो धनराशि के अभाव में गम्भीर बीमारियों का इलाज कराने में सक्षम नहीं है, उनके बीमारियों के इलाज के खर्च की धनराशि राज्य निधि से एक मुश्त सहायता के रूप में उपलब्ध कराना।
पात्रता
- ऐसे दिव्यांगजन (दिव्यांगता 40 प्रतिशत अथवा इससे अधिक हो) जिनकी स्वयं अथवा माता-पिता/अभिभावक की वार्षिक आय रू. 2.0 लाख से अधिक न हो।
- भारत का नागरिक हो।
- उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी हो या कम से कम 05 वर्ष से उत्तर प्रदेश का अधिवासी हो।
- किसी अपराधिक मामले में दंडित न किया गया हो।
- ऐसे दिव्यांग अभ्यर्थी जिनकों इसी कार्य हेतु भारत सरकार/राज्य सरकार से लाभान्वित किया गया है तो, उनको इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
राज्य सरकार या केन्द्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों/मेडिकल कॉलेजों तथा समान स्तर के विशिष्ट अस्पतालों, जैसे टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल, द्वारा उपलब्ध कराई गई अनुमान की सम्पूर्ण राशि प्रदान की जाएगी।
आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
-
सक्षम चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी स्थायी दिव्यांगजन प्रमाण पत्र या यूडीआईआईडी कार्ड की प्रति
- आय प्रमाण पत्र की प्रति। (सभी स्रोतों से)
- संबंधित अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराए गए अनुमान की प्रति
-
आधार संख्या या पंजीकरण संख्या की प्रति (यदि आधार कार्ड अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है)
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।
दिव्यांगजनों की शिक्षा एवं पुनर्वास से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर सम्बध्द हितधारकों का उन्मुखीकरण / प्रशिक्षण कार्यक्रम (इन - सर्विस ट्रेनिंग )
उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं आई.आई.टी. में स्नातक/स्नातकोत्तर प्रोग्राम में प्रवेश कर शिक्षा ग्रहण कर रहे गरीब माता-पिता/अभिभावकों के आश्रित दिव्यांग छात्र/छात्राओं को प्रवेश शुल्क एवं ट्यूशन की फीस की धनराशि राज्य निधि से प्रदान करना।
पात्रता
- ऐसे दिव्यांग अभ्यर्थी (दिव्यांगता 40 प्रतिशत अथवा इससे अधिक हो) इसके पात्र होंगे जो उत्तर प्रदेश के स्थायी मूल निवासी हों तथा उत्तर प्रदेश में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय या आई.आई.टी. मे संस्थागत छात्र के रूप में अध्ययनरत हों।
- ऐसे दिव्यांग अभ्यर्थी इसके लिए पात्र होंगे, जिनके माता-पिता/अभिभावक की समस्त स्रोतों से वार्षिक आय रू. 2.0 लाख से अधिक नही होगी।
- ऐसे दिव्यांग अभ्यर्थी जिनको इसी कार्य हेतु भारत सरकार/राज्य सरकार से धनराशि प्राप्त हुई है। योजनान्तर्गत लाभ नहीं मिलेगा।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
- आयोजन स्थल के आयोजन के लिए व्यय, जिसमें स्थापना लागत, आयोजन स्थल शुल्क, तथा भाग लेने वाले दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उनके उत्पादों/चित्रों को प्रदर्शित करने हेतु परिवहन लागत, साथ ही निमंत्रण के लिए व्यय शामिल हैं।
- अतिरिक्त रसद लागत, जैसे एलसीडी स्क्रीन, लाइट म्यूजिक आदि की व्यवस्था।
- अनुदान जारी: 50% अग्रिम, 50% कार्य पूरा होने और उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने के बाद।
- अधिकतम सहायता: ₹2.5 लाख (जिला), ₹5.0 लाख (मंडल), ₹10.0 लाख (राज्य)।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
1. इस योजना से लाभान्वित होने के इच्छुक किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संगठन को निर्धारित आवेदन पत्र भरकर संबंधित जिले के जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी के कार्यालय में जमा करना होगा। जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी आवेदन की जांच करेंगे और आवेदन प्राप्त होने के एक महीने के भीतर इसे जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से निदेशक को भेज देंगे।
2. आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
- पंजीकरण की प्रति: (1) सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकरण। (2) आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 के तहत वैध पंजीकरण।
- अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति।
- अनुभव से संबंधित प्रमाण पत्र की प्रति।
- संस्था के एसोसिएशन के ज्ञापन की प्रति।
- पैन/टैन/जीएसटी नंबर की प्रति।
- व्यापार/विपणन निकायों को आमंत्रण की प्रतिलिपि।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।
दिव्यांगजन हेतु संचालित विशेष विद्यालयों में गणित अथवा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अथवा मनोवैज्ञानिक आदि प्रयोगशालाओं की स्थापना हेतु वित्तीय सहायता।
उद्देश्य
विभिन्न श्रेणी के दिव्यंजनों के शिक्षण , प्रशिक्षण हेतु संचालित विशेष विद्यालयों में पढ़ने आने वाले विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए तना (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) प्रयोगशालाओं को मजबूत करने, स्थापित करने आदि के लिए स्कूलों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
रोजगार, नवाचार और उद्यमिता विकास एवं सशक्तिकरण के लिए वैज्ञानिक सोच विकसित करना। यह योजना पूरी तरह से एकीकृत शिक्षण संस्थानों और सीखने के मंच के साथ शिक्षक संसाधन और प्रशिक्षण, उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण, अनुसंधान और सामुदायिक जुड़ाव के साथ - साथ बहु -विषयक द्रष्टिकोण पर जोर दिया जायेगा तथा अनुप्रयोगों और इससे उत्पन्न समस्याओं के समाधान पर भी ध्यान दिया जायेगा।
इस योजना से छात्रों के संज्ञात्मक छमताओं तथा उनकी जटिल समस्याओं के समाधान के साथ - साथ उनके सामाजिक और नेतृत्व कौशल के विकास में उपयोगी होगी। दिव्यांगग्रस्त बच्चों के वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए उद्योग संस्थान से बातचीत कर छात्रों की गुणवत्ता, समानता एवं उनके रोजगार क्षमता में वृद्धि संभव हैं। तना (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में उनकी व्यावहारिक अभिव्यक्ति के माध्यम से गणित एवं विज्ञान के विषयों में आवश्यक योग्यता प्राप्त करने के अवसर प्राप्त होगा। इसके साथ ही साथ इस योजना के क्रियान्वयन से छात्रों को विशिष्ट पहचान पाने और उनकी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय /अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोज़न होने वाली प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने का अवसर भी प्राप्त होगा।
पात्रता
कोई भी सरकारी संगठन या सोसायटी अधिनियम, कंपनी अधिनियम, ट्रस्ट अधिनियम या आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 के तहत पंजीकृत संगठन, जिसके पास उत्पादों/चित्रों के विपणन के लिए प्रदर्शनियों/कार्यशालाओं के आयोजन में कम से कम दो वर्ष का अनुभव हो।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
- आयोजन स्थल के आयोजन के लिए व्यय, जिसमें स्थापना लागत, आयोजन स्थल शुल्क, तथा भाग लेने वाले दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उनके उत्पादों/चित्रों को प्रदर्शित करने हेतु परिवहन लागत, साथ ही निमंत्रण के लिए व्यय शामिल हैं।
- अतिरिक्त रसद लागत, जैसे एलसीडी स्क्रीन, लाइट म्यूजिक आदि की व्यवस्था।
- अनुदान जारी: 50% अग्रिम, 50% कार्य पूरा होने और उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने के बाद।
- अधिकतम सहायता: ₹2.5 लाख (जिला), ₹5.0 लाख (मंडल), ₹10.0 लाख (राज्य)।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
निर्धारित आवेदन पत्र सम्बन्धित जिले के जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी के कार्यालय में जमा किया जाएगा।
2. आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
- पंजीकरण की प्रति: (1) सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकरण। (2) आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 के तहत वैध पंजीकरण।
- अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति।
- अनुभव से संबंधित प्रमाण पत्र की प्रति।
- संस्था के एसोसिएशन के ज्ञापन की प्रति।
- पैन/टैन/जीएसटी नंबर की प्रति।
- व्यापार/विपणन निकायों को आमंत्रण की प्रतिलिपि।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।
दिव्यांगजन हेतु संचालित विशेष विद्यालयों में खेल सुविधाओं का विकास, खेल उपकरण क्रय हेतु वित्तीय सहायता।
उद्देश्य
- विभिन्न श्रेणी के दिव्यांगजन हेतु संचालित विद्यालयों में दिव्यांगजन के लिए खेल सुविधा अथवा पूर्व में स्थापित विद्यालयों में खेल सुविधाओं हेतु सहायता दिए जाने का प्रबन्ध किया जा रहा हैं। चूंकि इस तरह की कोई योजना राज्य सरकार द्वारा पृथक से संचालित नहीं है। ऐसी स्तिथि में राज्य निधि के माध्यम से इस योजना को संचालित कराये जाने हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराया जाना हैं। विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांगजन को उनकी आवयश्कतानुसार प्रारम्भिक स्तर पर खेल सुविधा उपलब्ध होने पर जहाँ एक ओर उनका बौद्धिक विकास होगा, वहीं दूसरी और खेल के उन्नयन का विकास होगा तथा खेल प्रोत्साहन में उन्हें बढ़ावा मिलेगा। इस योजना से राज्य स्तरीय /राष्ट्रीय /अंतर्राष्ट्रीय तथा पैरालम्पिक प्रतस्परथाओं में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।
- यह योजना दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा - 30 के अंतर्गत आच्छादित है।
पात्रता
कोई भी सरकारी संगठन या सोसायटी अधिनियम, कंपनी अधिनियम, ट्रस्ट अधिनियम या आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 के तहत पंजीकृत संगठन, जिसके पास उत्पादों/चित्रों के विपणन के लिए प्रदर्शनियों/कार्यशालाओं के आयोजन में कम से कम दो वर्ष का अनुभव हो।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
- आयोजन स्थल के आयोजन के लिए व्यय, जिसमें स्थापना लागत, आयोजन स्थल शुल्क, तथा भाग लेने वाले दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उनके उत्पादों/चित्रों को प्रदर्शित करने हेतु परिवहन लागत, साथ ही निमंत्रण के लिए व्यय शामिल हैं।
- अतिरिक्त रसद लागत, जैसे एलसीडी स्क्रीन, लाइट म्यूजिक आदि की व्यवस्था।
- अनुदान जारी: 50% अग्रिम, 50% कार्य पूरा होने और उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने के बाद।
- अधिकतम सहायता: ₹2.5 लाख (जिला), ₹5.0 लाख (मंडल), ₹10.0 लाख (राज्य)।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
1. इस योजना से लाभान्वित होने के इच्छुक किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी संगठन को निर्धारित आवेदन पत्र भरकर संबंधित जिले के जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी के कार्यालय में जमा करना होगा। जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी आवेदन की जांच करेंगे और आवेदन प्राप्त होने के एक महीने के भीतर इसे जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से निदेशक को भेज देंगे।
2. आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
- पंजीकरण की प्रति: (1) सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकरण। (2) आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 के तहत वैध पंजीकरण।
- अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति।
- अनुभव से संबंधित प्रमाण पत्र की प्रति।
- संस्था के एसोसिएशन के ज्ञापन की प्रति।
- पैन/टैन/जीएसटी नंबर की प्रति।
- व्यापार/विपणन निकायों को आमंत्रण की प्रतिलिपि।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।
दिव्यांगजनो के पुनर्वासन से सम्बंधित सामाजिक, चिकित्सीय, शैक्षिक एवं विधिक (कानूनी) आदि विषयों पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हेतु वित्तीय सहायता।
उद्देश्य
- इस योजना का उद्देश्य विभिन्न श्रेणी के दिव्यांगजन के पुनर्वासन के सम्बन्ध में उनके सामाजिक, चिकित्सीय, शैक्षिक एवं विधिक (Legal) आदि विषयों पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कराया जाना है तथा इस हेतु स्कूलों / कॉलेजों / विश्वविद्यालयों / अन्य शिक्षण संस्थानों के माध्यम से जन - जागरूकता किया जाय।
- इस योजना से छात्रों के संज्ञानात्मक क्षमताओं तथा उनकी जटिल समस्याओंके समाधान के साथ - साथ उनके सामाजिक, विधिक और नेतृत्व कौशल के विकास में उपयोगी होगी। दिव्यांगग्रस्त बच्चों के वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए विधिक संस्थान से बातचीत कर छात्रों को विधिक ज्ञान प्रदान करना। उक्त के अतिरिक्त विभिन्न चिकित्सा विश्विद्यालयों / चिकित्सकों के माध्यम से उनके चिकित्सीय पहलुओं पर जानकारी दिया जाना सम्मिलित किया जायेगा। दिव्यांगजनों के सामाजिक स्तर को बढ़ाने तथा उनके सशक्तिकरण हेतु विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित किया जाना तथा जागरूकता उत्त्पन्न किया जाना।
- इस कार्यशाला के माध्यम से दिव्यांगजनों के गुणवत्ता, समानता एवं उनके रोजगार क्षमता में वृद्धि संभव है। विभिन्न शैक्षिक एवं व्यावहारिक अभिव्यक्ति के माध्यम से विभिन्न विषयों में आवश्यक योग्यता प्राप्त करने का प्रशिक्षण प्राप्त होगा। इसके साथ ही साथ इस योजना के क्रियान्वयन से छात्रों को विशिष्ट पहचान पाने और उनकी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने का अवसर भी प्राप्त होगा।
पात्रता
कोई भी सरकारी संगठन या सोसायटी अधिनियम, कंपनी अधिनियम, ट्रस्ट अधिनियम या आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 के तहत पंजीकृत संगठन, जिसके पास उत्पादों/चित्रों के विपणन के लिए प्रदर्शनियों/कार्यशालाओं के आयोजन में कम से कम दो वर्ष का अनुभव हो।
वित्तीय सहायता के अन्तर्गत निम्न घटक सम्मलित होगें
- आयोजन स्थल के आयोजन के लिए व्यय, जिसमें स्थापना लागत, आयोजन स्थल शुल्क, तथा भाग लेने वाले दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उनके उत्पादों/चित्रों को प्रदर्शित करने हेतु परिवहन लागत, साथ ही निमंत्रण के लिए व्यय शामिल हैं।
- अतिरिक्त रसद लागत, जैसे एलसीडी स्क्रीन, लाइट म्यूजिक आदि की व्यवस्था।
- अनुदान जारी: 50% अग्रिम, 50% कार्य पूरा होने और उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करने के बाद।
- अधिकतम सहायता: ₹2.5 लाख (जिला), ₹5.0 लाख (मंडल), ₹10.0 लाख (राज्य)।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
निर्धारित आवेदन पत्र सम्बन्धित जिले के जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी के कार्यालय में जमा किया जाएगा।
2. आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करने होंगे।
- पंजीकरण की प्रति: (1) सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकरण। (2) आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम-2016 के तहत वैध पंजीकरण।
- अनुभव प्रमाण पत्र की प्रति।
- अनुभव से संबंधित प्रमाण पत्र की प्रति।
- संस्था के एसोसिएशन के ज्ञापन की प्रति।
- पैन/टैन/जीएसटी नंबर की प्रति।
- व्यापार/विपणन निकायों को आमंत्रण की प्रतिलिपि।
आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया
- निदेशालय में प्राप्त प्रार्थना पत्रों का परीक्षण किया जायेगा, पात्र होने पर उन्हें सूचीबद्ध कराया जायेगा।
- इस योजना हेतु प्राप्त आवेदन पत्र अपूर्ण होने के आधार पर निरस्त नहीं किये जायेंगे बल्कि जो अभिलेख, प्रमाण-पत्र आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं है उन्हें अधिकतम् 15 दिन में पूर्णं कराया जायेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व आवेदक का होगा।
- निदेशालय स्तर पर परीक्षण कर पूर्ण प्रस्ताव को वित्तीय सहायता हेतु शासन स्तर पर गठित समिति को प्रेषित किया जायेगा।
- अनुदान दिये जाने हेतु राज्य निधि के प्रबन्धन हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित ''शासी निकाय'' में निर्णय लिया जायेगा।
भुगतान की प्रक्रिया
स्वीकृत धनराशि का भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से आवेदन कर्ता द्वारा उपलब्ध कराये गये संस्था के बैंक खाते में किया जायेगा।
अभिलेखों का रख-रखाव
इस योजना अन्तर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त करने हेतु प्राप्त आवेदनों का रख-रखाव निदेशालय स्तर पर किया जायेगा।
अनुदान की वसूली
धनराशि का दुरूपयोग करने पर भारतीय दंण्ड संहिता के तहत् अपराध माना जायेगा एवं अनुदान की धनराशि भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूल कर लिया जायेगा।
अन्य
किसी भी प्रकार के विवाद की दशा में ''शासी निकाय'' का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा।